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भाई दूज कितनी सहायक

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भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। पहले दीपावली उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगा कर उसकी आरती करती हैं। भाई दूज का मनमाना पर्व बहन के अपने भाई के प्रति प्रेम को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें इस दिन अपने भाई की खुशहाली के लिए ईश्वर से कामना करती हैं। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है। भाई दूज के दिन मथुरा में स्थित यमराज का मंदिर जिसमें लोकवेद के अनुसार यहां पर भाई-बहन यमराज की पूजा करते हैं। ये पूजा मथुरा के विश्राम घाट पर एक विशेष स्नान होता है जिसमें लाखों भाई-बहन इस मनोकामना के साथ मिलकर यमुना के जल में स्नान करते हैं कि वह अपने पापों से मुक्त होंगे और मोक्ष प्राप्त करेंगे। विचार कीजिए यदि ऐसा होता तो यमुना के जल में रहने वाले जीव जंतु तो सीधे मोक्ष को प्राप्त होंगे क्योंकि वह तो दिन रात उसी जल में रहते हैं । मनुष्य जल में स्नान करके उसमें रहने वाले लाखों जीवों की हत्या अनजाने में ही कर देता है जिसका पाप उसके सिर यानी कर्मों में जोड़ दिया जाता है। ऐसे में मोक्ष की परिकल्पना भी नहीं की जा स...

नाग कितनी लाभदायक है ?

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    नाग कितनी लाभदायक है ? नाग पंचमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग व सर्प पूजा की जाती है और उन्हें दूध से नहलाया जाता है। सभी लोग इस पूजा को इसलिए करते हैं की नाग देवता को पूजने से उनके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।। और उन्हें आर्थिक लाभ भी मिलेगा।। सभी प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए लोग नाग देवता की पूजा करते हैं।। सत्य भक्ति  लेकिन यह पूजा एक मन माना आचरण है यह किसी वेदों शास्त्रों ग्रंथों गीता आदि में कहीं भी इस पूजा को करने का प्रमाण नहीं है यह एक शास्त्र विरुद्ध पूजा है जो हमारे द्वारा चलाई गई है। और गीता में प्रमाण है कि शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने वाले व्यक्ति को ना तो कोई लाभ प्राप्त होता है और ना ही मोक्ष प्राप्त होता है । नाग पूजा करने से हमें कैसे लाभ हो सकता है क्योंकि यह तो शास्त्र विरुद्ध पूजा है। भगवान से पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें अपने शास्त्रों के अनुसार पूर्ण भक्ति करनी पड़ेगी इससे हमें जीवन पर्यंत वाले लाभ प्राप्त हो सकते हैं। ...

सही शिक्षा क्या है

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सही शिक्षा क्या है परमात्मा ने हमें पहले समय में शिक्षा इसलिए नहीं दी क्योंकि यह शिक्षा हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है यदि हम शिक्षा प्राप्त करके परमात्मा की खोज नहीं करते तो यह शिक्षा व्यर्थ है इस शिक्षा ने हमें अंहकारी बना दिया और मर्यादाहीन बना दिया माया का आधीन बना दिया माया को जोड़ना ही उद्देश्य मान लिया कोई भी बच्चा शिक्षा ग्रहण करने के लिए घर से चलता है तो उसका एक ही उद्देश्य होता है कि बड़ा अफसर बनू बेईमानी रिश्वतखोरी से ज्यादा धन कमाता है और धन कमाने के बाद क्या पता कब मृत्यु हो जाए तो वह धन यही रह जाता है सिर्फ पाप कर्म ही साथ जाते हैं। Lord kabir ji परमात्मा ने हमें शिक्षा इसलिए दी है कि हम सच्चे परमात्मा को पहचान सके इस रोजी-रोटी कमाने के लिए या धन कमाने के लिए शिक्षा की कोई जरूरत नहीं थी शिक्षा से भौतिक सुख कम मिलते हैं और चिंताएं अनेक हो गई इसके दुःख ज्यादा हो गए। बस यह शिक्षा एक ही तरह से अच्छी है क्योंकि हम इससे भगवान को पहचान सके। शिक्षा का मूल उद्देश्य धन कमाना या बड़े बड़े अफसर बनना डॉक्टर इंजीनियर बनना नहीं है। क्योंकि इस 21 ब्रह्मांड में कोई भी सुख नहीं है चा...

सत्य परमात्मा कोन है?

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हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रो में उस एक प्रभु,मालिक ,रब ,खुदा‌,अल्लाह ,गोड,परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है कि वह एक मालिक प्रभु कबीर साहेब है जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है। कबीर साहिब जी ही सच्चे परमात्मा है वह पाप के शत्रु  पाप के विनाशक है और पूर्ण मोक्ष दायक परमात्मा है। सच्चे परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है। जिनका जन्म- मृत्यु कभी नहीं होता वह समरथ व अविनाशी परमात्मा है। Lord Kabir ji जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं। कबीर साहिब जी सच्चे परमात्मा पूर्ण सुखदाई व मोक्षदाई जीवन रक्षक वह सच्चे भगवान है। सभी का मानना है की प्रारब्ध कर्म भोगन...

काशी में करोत

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आज से 600 वर्ष पहले कबीर परमात्मा आए हुए थे तब काशी में कुछ पंडितों ने अपने स्वार्थ के लिए धन कमाने के लिए अंधविश्वास फैलाया उन्होंने अपने स्वार्थ  को पूरा करने के लिए एक परंपरा चलाई। उन्होंने भोली जनता को गुमराह करना शुरू किया और कहा कि जो मगहर में मरेगा वह नरक में जाएगा इसलिए मगहर में कोई ना मरे। और जो काशी में मरेगा वह सीधा  स्वर्ग जाएगा । सभी हिंदू लोग भोली जनता उनके बातों पर विश्वास करके उनकी बातों को सही मानने लगे क्योंकि उन्हें लगता था कि पंडित लोग वेदों के ज्ञाता है और यह जो भी ज्ञान बताते हैं वह वेदों को पढ़कर ही बताते हैं। उन्होंने लोगों में यह भ्रमणा फैला दी कि जो लोग काशी में मरेगा वह स्वर्ग को प्राप्त होगा। लेकिन कबीर परमात्मा जी कहते थे कि अच्छे कर्म करने वाला व्यक्ति और भगवान से डरकर रहने वाले व्यक्ति कहीं मर जाएं वह स्वर्ग को प्राप्त होते हैं और बुरे कर्म करने वाले कही मर जाओ वह नरक कोई प्राप्त होते हैं लेकिन कबीर परमात्मा की बात कोई नहीं मानता था। काशी में स्वर्ग प्राप्त होगा इस फैली हुई धारणा के कारण सभी बुड्ढे लोग अपने बच्चों से कहते हैं कि हमारी ...

Janmashtami 2020

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जन्माष्टमी- जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की जन्म नगरी मथुरा भक्ति के रंगों में जीवंत हो जाती है।हिन्दू धर्म के प्रमुख ईष्ट देव भगवान हैं श्री कृष्ण जी।प्रभु प्रेमियों के दिलों में श्रीकृष्ण जी का विशेष स्थान है। विष्णु जी के अवतार कृष्ण जी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इसलिए इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।  भगवान श्री कृष्ण ने मोरध्वज के लड़के ताम्रध्वज को बीच से आरे से कटवा कर उसको वापिस जीवित कर दिया था जिस कारण हम श्री कृष्ण को भगवान मानने लगे। जबकि ताम्रध्वज की आयु शेष बची थी। श्री कृष्ण जी पूर्ण परमात्मा नहीं है वह केवल भाग्य में लिखा ही दे सकते हैं कबीर साहिब जी हैं जिन्होंने सेऊ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर वापस जीवित कर दिया। दरिया में बह रहे मुर्दे को जीवित किया उसका नाम कमाल रखा। Krishna janmashtami जन्म लेने से पहले से ही माता की कोख में कृष्ण जी सुरक्षित नहीं थे। मामा कंस उनके जन्म का इंतजार कर रहा था कि गर्भावस्था से बाहर आते ही इस बालक की हत्या कर ...

बाइबल में परमात्मा का ज्ञान।

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पवित्र बाईबल ने भी स्पष्ट किया है की प्रभु का नाम कबीर है।पवित्र बाइबिल अय्यूब 36: 5 के अनुसार पूर्ण परमात्मा अय्यूब 36:5 और्थोडौक्स यहूदी बाइबल परमेश्वर कबीर शक्तिशाली है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है। परमेश्वर कबीर समर्थ है और विवेकपूर्ण है। पूर्ण परमात्मा जन्म मृत्यु से परे है, वह न तो माँ के गर्भ से जन्म लेता न ही उसकी मृत्यु होती है। ईसा मसीह जैसी पवित्र आत्मा की भी दर्दनाक मृत्यु हुई। फिर आम इंसान का कैसे बचाव हो सकता है। केवल पूर्ण परमात्मा कबीर जी ही अवविनाशी हैं, मोक्षदायक प्रभु हैं। पवित्र बाईबल उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1:20 - 2:5 पर छटवां दिन प्राणी और मनुष्य अन्य प्राणियों की रचना करके फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएंगे जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा।तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया,  नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टी की। प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, माँस खाना नहीं कहा है। परमे...