Janmashtami 2020
जन्माष्टमी- जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की जन्म नगरी मथुरा भक्ति के रंगों में जीवंत हो जाती है।हिन्दू धर्म के प्रमुख ईष्ट देव भगवान हैं श्री कृष्ण जी।प्रभु प्रेमियों के दिलों में श्रीकृष्ण जी का विशेष स्थान है। विष्णु जी के अवतार कृष्ण जी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इसलिए इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
भगवान श्री कृष्ण ने मोरध्वज के लड़के ताम्रध्वज को बीच से आरे से कटवा कर उसको वापिस जीवित कर दिया था जिस कारण हम श्री कृष्ण को भगवान मानने लगे। जबकि ताम्रध्वज की आयु शेष बची थी। श्री कृष्ण जी पूर्ण परमात्मा नहीं है वह केवल भाग्य में लिखा ही दे सकते हैं
कबीर साहिब जी हैं जिन्होंने सेऊ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर वापस जीवित कर दिया। दरिया में बह रहे मुर्दे को जीवित किया उसका नाम कमाल रखा।
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| Krishna janmashtami |
जन्म लेने से पहले से ही माता की कोख में कृष्ण जी सुरक्षित नहीं थे। मामा कंस उनके जन्म का इंतजार कर रहा था कि गर्भावस्था से बाहर आते ही इस बालक की हत्या कर दूंगा जो मेरी जान के लिए खतरा है। कृष्ण जी ने भले ही कंस, शिशुपाल, कालयवन, जरासंध और पूतना का वध किया था। जिस कारण लोगों ने इन्हें भगवान मान लिया। गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया तो उन्हें भगवान की श्रेणी में डाल दिया, शेषनाग ने तो पूरी सृष्टि को अपने सिर पर उठाया हुआ है तो उसे आप भगवान क्यों नहीं मानते?
द्वापरयुग में कृष्ण जी के 56 करोड़ की आबादी वाले यादव कुल का आपस में लड़ने से नाश हो गया था। जिसे श्रीकृष्ण जी लाख यत्न कर भी नहीं रोक पाए थे। इस सबसे दुखी होकर कृष्ण जी वन में एक वृक्ष के नीचे एक पैर पर दूसरा पैर रखकर लेटे हुए थे। वृक्ष की छाया में विश्राम कर रहे कृष्ण जी के एक पैर में पदम जन्म से ही लाल निशान था जो की सूर्य की रोशनी में हिरन की आंख की तरह चमक रहा था। शिकारी शिकार की तलाश में वन में घूम रहा था। तभी दूर से शिकारी ने देखा वहां पेड़ के नीचे हिरन है। उसने पेड़ की ओट लेकर ज़हर में बुझा हुआ तीर हिरन की आंख समझ कर छोड़ दिया और वह ज़मीन पर लेटे हुए कृष्ण जी के पैर में पदम पर जा लगा। तभी कृष्ण जी चिल्लाए कि हाय ! मर गया। शिकारी घबराया हुआ उनके पास दौड़ कर आया और देखकर रोने लगा। अपने अपराध की क्षमा याचना करने लगा। कृष्ण जी ने उससे कहा, आज तेरा बदला पूरा हुआ। शिकारी बोला हे महाराज ! कौन सा बदला तब कृष्ण जी ने उसे त्रेतायुग वाला सारा वृत्तांत कह सुनाया और उससे कहा की तू जल्दी यहां से भाग जा वरना तुझे सब मार डालेंगे। कृष्ण जी तड़पते हुए मृत्यु को प्राप्त हुए।
कबीर परमात्मा के साथ शेख तकी ने 52 बार मारने की कोशिश की थी लेकिन कबीर परमात्मा का कुछ नहीं बिगाड़ सके
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| Krishna Leela |
*कबीर, राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नाहीं संसार जिन साहब संसार किया, सो किनहु न जनम्यां नारि*
श्रीकृष्ण स्वर्ग के राजा हैं पृथ्वी पर तो श्राप वश आए और पूरा जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक दुखी रहे। पृथ्वी पर सुख नाम की कोई वस्तु नहीं है। वासुदेव कृष्ण नहीं पूर्ण ब्रह्म परमात्मा कबीर है यही सबका सृजनहार है। यही पापनाशक, पूर्ण मोक्षदायक, यही पूजा के योग्य है। यही वासुदेव ही कुल का मालिक परम अक्षर ब्रह्म है। वह परमेश्वर पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब हैं जो तत्वदर्शी संत की भूमिका में संत रामपाल जी रूप में धरती पर अवतरित हैं।


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