नाग कितनी लाभदायक है ?




    नाग कितनी लाभदायक है ?


नाग पंचमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग व सर्प पूजा की जाती है और उन्हें दूध से नहलाया जाता है। सभी लोग इस पूजा को इसलिए करते हैं की नाग देवता को पूजने से उनके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।। और उन्हें आर्थिक लाभ भी मिलेगा।। सभी प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए लोग नाग देवता की पूजा करते हैं।।

सत्य भक्ति 

लेकिन यह पूजा एक मन माना आचरण है यह किसी वेदों शास्त्रों ग्रंथों गीता आदि में कहीं भी इस पूजा को करने का प्रमाण नहीं है यह एक शास्त्र विरुद्ध पूजा है जो हमारे द्वारा चलाई गई है। और गीता में प्रमाण है कि शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने वाले व्यक्ति को ना तो कोई लाभ प्राप्त होता है और ना ही मोक्ष प्राप्त होता है । नाग पूजा करने से हमें कैसे लाभ हो सकता है क्योंकि यह तो शास्त्र विरुद्ध पूजा है। भगवान से पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें अपने शास्त्रों के अनुसार पूर्ण भक्ति करनी पड़ेगी इससे हमें जीवन पर्यंत वाले लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

नाग पंचमी की पूजा करने से मिलने वाले लाभ का क्षणिक होने का कारण यह है कि यह जो हमारे शास्त्रों में भक्ति विधि लिखी है उसके विरुद्ध है।। यह एक बहुत बड़ी विडंबना है हम वेदों शास्त्रों और गीता जी को सच भी मानते हैं और उसके अनुसार चलते भी नहीं हैं। पाखंडी और धर्मगुरुओं ने लोगों को गीता के विरुद्ध साधना करवा कर समाज को गलत दिशा प्रदान कर रहे हैं। जिसके कारण सभी लोग दुखी हैं। 

पूर्ण गुरु 


गीता जी में कहीं पर भी नागों की पूजा करना व उनको दूध से नहलाना एवं  दूध पिलाना कहीं पर भी प्रमाण नहीं होने के कारण यह एक मन माना आचरण सिद्ध हुआ है । नाग देवता हमें कैसे लाभ दे सकते हैं क्योंकि वो खुद ही 8400000 योनियों में कष्ट भोग रहे है। तो हमें कष्ट से दूर कैसे कर सकते हैं और हमें आर्थिक लाभ कैसे प्राप्त हो सकता है।। यह हमारे अज्ञानी शास्त्र ज्ञान रहित धर्मगुरुओं द्वारा चलाई गई साधना है जिससे हमें कोई लाभ नहीं मिल सकता।

नाग पंचमी मना कर की गई भक्ति क्रियाओं को पूरा करके अगर मनुष्य खुद को मोक्ष का अधिकारी मानता है या उस दिन व्रत उपवास करके समझता है कि हमारे जीवन में आने वाले दुखों से हमें छुटकारा मिलेगा तो यह भक्तों का भ्रम मात्र है। क्योंकि पूर्ण मोक्ष दायक सुखदायक उसे कहते हैं जिस की शक्तियां और सामर्थ्य असीमित हो। 


लेकिन नाग देवता तो खुद ही जन्म मृत्यु में है 8400000 योनियों भुगत रहा है तो हमें उसकी पूजा करने से मोक्ष व सांसारिक लाभ कैसे प्राप्त हो सकते हैं। पूरे समाज में धर्मगुरुओं, महंतों ,महर्षियो सभी ने अपने स्वार्थ के लिए लोगों को पाखंडवाद या अंधविश्वास से बांध दिया।। यह एक मन मुखी साधना है क्योंकि गीता जी में कहीं नहीं लिखा की व्रत या उपवास रखो।
तो हमें अपने सत्य ग्रंथों के विरुद्ध भक्ति करने से लाभ वह मोक्ष भगवान कैसे दे सकता है।।

अगर आप पूर्ण लाभ सांसारिक सुख आर्थिक मानसिक व शारीरिक सभी प्रकार के लाभ व पूर्ण मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं तो गीता में प्रमाण लिखा है गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में लिखा है की वह तत्वज्ञान, सत्यभक्ति को उस तत्वदर्शी संत के पास जाकर पूछ उन्हें नम्रता पूर्वक दंडवत प्रणाम करके नम्रता पूरक प्रश्न पूछने से वह तत्वदर्शी संत आपको तत्व ज्ञान का उपदेश देंगे।।और वर्तमान में सतगुरु रामपाल जी महाराज धर्म शास्त्रों गीता पुराणों वेदों शास्त्रों एवं संतों की वाणीओं से प्रमाणित  विधि बता रहे हैं जिससे साधक को अद्भुत भौतिक और आध्यात्मिक लाभ हो रहे हैं और पूर्ण मोक्ष का मार्ग देकर मनुष्य जीवन को सफल कर रहे हैं।



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