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भाई दूज कितनी सहायक

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भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। पहले दीपावली उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगा कर उसकी आरती करती हैं। भाई दूज का मनमाना पर्व बहन के अपने भाई के प्रति प्रेम को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें इस दिन अपने भाई की खुशहाली के लिए ईश्वर से कामना करती हैं। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है। भाई दूज के दिन मथुरा में स्थित यमराज का मंदिर जिसमें लोकवेद के अनुसार यहां पर भाई-बहन यमराज की पूजा करते हैं। ये पूजा मथुरा के विश्राम घाट पर एक विशेष स्नान होता है जिसमें लाखों भाई-बहन इस मनोकामना के साथ मिलकर यमुना के जल में स्नान करते हैं कि वह अपने पापों से मुक्त होंगे और मोक्ष प्राप्त करेंगे। विचार कीजिए यदि ऐसा होता तो यमुना के जल में रहने वाले जीव जंतु तो सीधे मोक्ष को प्राप्त होंगे क्योंकि वह तो दिन रात उसी जल में रहते हैं । मनुष्य जल में स्नान करके उसमें रहने वाले लाखों जीवों की हत्या अनजाने में ही कर देता है जिसका पाप उसके सिर यानी कर्मों में जोड़ दिया जाता है। ऐसे में मोक्ष की परिकल्पना भी नहीं की जा स...